Indian chutney made from mustard seeds in Hindi
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South Indian food using mustard seeds in Hindi
1. सांभर रेसिपी | साउथ इंडियन सांबर रेसिपी | होममेड साम्भर | sambar recipe in hindi | with 20 amazing images.
सांभर दक्षिण भारत के खाने का भाग है। कभी-कभी वह इसे दिने में एक बार से ज़्यादा बनाते हैं- सुबह के नाश्ते में और दोपहर और रात के खाने में भी।
dals using mustard seeds in Hindi
दाल तड़का हम में से ज्यादातर के लिए एक पंजाबी रेस्तरां में बाहर खाने के थोड़ी देर के लिए एक नियमित विशेषता है. हालांकि हम में से कुछ इस पकवान अपने बहुत ही रसोई में लगभग एक पांचवें कीमत में आसानी से तैयार किया जा सकता है एहसास.
• तड़का खाने को स्वाद प्रदान कने का तरीका है, जिसमें तेल के गरम होने के बाद बीज और मसाले डाले जाते हैं। ऐसा करने से बीज और मसाले चटकने लगते हैं, जिससे इनका स्वाद उभर कर आता है। इस तड़के को खाने में मिलाया जाता है। ज़ीरा, हल्दी पाउडर, हींग आदि के साथ सरसों का प्रयोग अकसर उत्तर और दक्षिण भारतीय खाने मे किया जाता है।
• सरसों का तड़का लगभग हर दक्षिण भारतीय खाने में डाला जाता है, चाहे वह करी हो, चटनी, साम्भर या रसम।
• इन बीज को फूटने तक सूखा भुना जाता है और बाद में साबूत या पीसकर अचार में डाला जाता है। सरसों को भुनते समय, इस बात का ध्यान रखें कि आपने सरसों को बहुत ज़्यादा नहीं भुना है जिससे वह जल कर और कड़वे हो सकते हैं।
• अंतरष्ट्रिय पाकशैली में, साबूत सरसों का प्रयोग अचार बनाने में या पत्तागोभी या सॉरक्राट जैसी सब्ज़ीयों को उबालते समय तक किया जाता है।
• साथ ही इसका प्रयोग मेयोनीज़, विनग्रैट, मेरीनेड और बार्बेक्यू सॉस में भी किया जाता है।
• विनेगर और/या जैथून के तेल के साथ मिलाने पर, सरसों का प्रयोग सलाद ड्रेसिंग बनाने में भी किया जाता है।
सरसों, राई, सरसों के बीज संग्रह करने के तरीके
• इसके प्रतिजीवाणु गुणों के कारण, साबीत सरसों को फ्रिज में रखने कि ज़रुरत नहीं होती; इसमें फफूंद या हानिकारक किटाणु नहीं लगते।
• फिर भी, हवा बंद और साफ डब्बे, ठंडी और सूखी जगह पर ना रखने से यह बीज अपने तीखेपन को जल्दी खो देते हैं।
• ऐसी जगह पर रखने से, साबूत सरसों को लगभग एक साल तक रखा जा सकता है, वहीं पिसी हुई या सरसों के पाउडर को लगभग 6 महिने तक रखा जा सकता है।
सरसों, राई, सरसों के बीज के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of mustard seeds, sarson, rai, sarson ke beej in Hindi)
सरसों के बीज कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम, पोटेशियम और फास्फोरस का एक उत्कृष्ट स्रोत माने जाते हैं। इनमें विटामिन ए, विटामिन के, विटामिन सी और फोलेट जैसे विटामिन भी होते हैं। सरसों के बीज में आइसोथियोसाइनेट्स और अन्य फिनोल यौगिक कैंसर को रोकने के लिए जाने जाते हैं और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण भी होते हैं। सरसों के बीजों का सेवन आमतौर पर कम मात्रा में किया जाता है, अक्सर तड़के के रूप में। इन बीजों का अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में परेशानी हो सकती है।