सरसों ( Mustard seeds )
Last Updated : Dec 18,2024


सरसों, राई क्या है ? ग्लॉसरी | इसका उपयोग | स्वास्थ्य के लिए लाभ | सरसों की रेसिपी |
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अन्य नाम
राई

सरसों, राई, सरसों के बीज क्या है?


छोटे-छोटे सरसों के बीज, जिन्हें अकसर तड़के में डाला जाता है, जो भारतीय खाने को मज़ेदार स्वाद, शानदार स्वाद और बेहतरीन खुशबु प्रदान करता है। सरसों के बीज सरसों के पेड़ से उत्पन्न होते हैं, जो क्रुसीफेरस पेड़ है जिसका संबंध ब्रॉकली, ब्रुसल स्प्राउट्स और पत्तागोभी से होता है।

जहाँ लगभग 40 विभिन्न प्रकार के सरसों के पेड़ होते हैं, तीन मुख्य प्रकार के सरसों का प्रयोग किया जाता हैः

सफेद सरसों (ब्रासिका अल्बा या ब्रासिका हिर्टा) गोल आकार के कड़े बीज होते हैं जिसका रंग मटमैला या पीला होता है। इसका स्वाद सौम्य होता है और इसमें प्रतिरक्षी गुण होते हैं, जो इसे बॉलपार्क मस्टर्ड और अचार बनाने के लिए पर्याप्त बनाता है।

काली सरसों (ब्रासिका निगरा) गोल आकार के कड़े बीज होते हैं जिनका रंग गहरे भुरे से लेकर काला होता है। यह छोटे होते हैं और सफेद विकल्प की तुलना में यह ज़्यादा तीखे होते हैं। इनका प्रयोग खाने को स्वाद प्रदान करने के लिए किया जाता है, जिन्हें अकसर तड़के में डाला जाता है या पाउडर के रुप में भी प्रयोग किया जाता है।

भुरी सरसों (ब्रासिका जुनसी) काली सरसों के समान होते हैं और इनका रंग हल्के से भुरे रंग का होता है। सफेद सरसों की तुलना में यह ज़्यादा तीखे होते हैं लेकिन काली सरसों के कम तीखे होते हैं, और इनका भी प्रयोग खाने में स्वाद प्रदान करने के लिए और तड़का लगाने में किया जाता है।

सरसों, राई, सरसों के बीज चुनने का सुझाव (suggestions to choose mustard seeds, sarson, rai, sarson ke beej)


• बहुत सी जगह अलग-अलग प्रकार की सरसों मिलती है, जैसे साबूत, पीसी हुई या पाउडर रुप में।
• साफ और बिना किसी कंकड़, धुल या पत्थर वाले बीज चुनें।
• पैकेट के सील और समापन के दिनांक की जांच कर लें।

सरसों, राई, सरसों के बीज के उपयोग रसोई में (uses of mustard seeds, sarson, rai, sarson ke beej in Indian cooking)

Indian chutney made from mustard seeds in Hindi

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South Indian food using mustard seeds in Hindi

1. सांभर रेसिपी | साउथ इंडियन सांबर रेसिपी | होममेड साम्भर | sambar recipe in hindi | with 20 amazing images.

सांभर दक्षिण भारत के खाने का भाग है। कभी-कभी वह इसे दिने में एक बार से ज़्यादा बनाते हैं- सुबह के नाश्ते में और दोपहर और रात के खाने में भी। 

dals using mustard seeds in Hindi

दाल तड़का हम में से ज्यादातर के लिए एक पंजाबी रेस्तरां में बाहर खाने के थोड़ी देर के लिए एक नियमित विशेषता है. हालांकि हम में से कुछ इस पकवान अपने बहुत ही रसोई में लगभग एक पांचवें कीमत में आसानी से तैयार किया जा सकता है एहसास. 


• तड़का खाने को स्वाद प्रदान कने का तरीका है, जिसमें तेल के गरम होने के बाद बीज और मसाले डाले जाते हैं। ऐसा करने से बीज और मसाले चटकने लगते हैं, जिससे इनका स्वाद उभर कर आता है। इस तड़के को खाने में मिलाया जाता है। ज़ीरा, हल्दी पाउडर, हींग आदि के साथ सरसों का प्रयोग अकसर उत्तर और दक्षिण भारतीय खाने मे किया जाता है।
• सरसों का तड़का लगभग हर दक्षिण भारतीय खाने में डाला जाता है, चाहे वह करी हो, चटनी, साम्भर या रसम।
• इन बीज को फूटने तक सूखा भुना जाता है और बाद में साबूत या पीसकर अचार में डाला जाता है। सरसों को भुनते समय, इस बात का ध्यान रखें कि आपने सरसों को बहुत ज़्यादा नहीं भुना है जिससे वह जल कर और कड़वे हो सकते हैं।
• अंतरष्ट्रिय पाकशैली में, साबूत सरसों का प्रयोग अचार बनाने में या पत्तागोभी या सॉरक्राट जैसी सब्ज़ीयों को उबालते समय तक किया जाता है।
• साथ ही इसका प्रयोग मेयोनीज़, विनग्रैट, मेरीनेड और बार्बेक्यू सॉस में भी किया जाता है।
• विनेगर और/या जैथून के तेल के साथ मिलाने पर, सरसों का प्रयोग सलाद ड्रेसिंग बनाने में भी किया जाता है।

सरसों, राई, सरसों के बीज संग्रह करने के तरीके


• इसके प्रतिजीवाणु गुणों के कारण, साबीत सरसों को फ्रिज में रखने कि ज़रुरत नहीं होती; इसमें फफूंद या हानिकारक किटाणु नहीं लगते।
• फिर भी, हवा बंद और साफ डब्बे, ठंडी और सूखी जगह पर ना रखने से यह बीज अपने तीखेपन को जल्दी खो देते हैं।
• ऐसी जगह पर रखने से, साबूत सरसों को लगभग एक साल तक रखा जा सकता है, वहीं पिसी हुई या सरसों के पाउडर को लगभग 6 महिने तक रखा जा सकता है।

सरसों, राई, सरसों के बीज के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of mustard seeds, sarson, rai, sarson ke beej in Hindi)

सरसों के बीज कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम, पोटेशियम और फास्फोरस का एक उत्कृष्ट स्रोत माने जाते हैं। इनमें विटामिन ए, विटामिन के, विटामिन सी और फोलेट जैसे विटामिन भी होते हैं। सरसों के बीज में आइसोथियोसाइनेट्स और अन्य फिनोल यौगिक कैंसर को रोकने के लिए जाने जाते हैं और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण भी होते हैं। सरसों के बीजों का सेवन आमतौर पर कम मात्रा में किया जाता है, अक्सर तड़के के रूप में। इन बीजों का अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में परेशानी हो सकती है।





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