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कुलीथ क्या है ? ग्लॉसरी, इसका उपयोग,स्वास्थ्य के लिए लाभ, रेसिपी

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कुलीथ क्या है?

कुलीथ एक प्रकार कि साबूत दाल है जिसे सूखी जगह पर उत्तपन्न किया जाता है। भारत मे घोड़े के लिये इसका प्रयोग मुख्य आहार के रुप मे किया जाता है, जो इसके नाम कि पहचान है। यह छोटा अंडाकार और दिखने मे राजमा जैसे होते है। इसका रंग हरा भूरा से लाल भूरा होता है जिसका गोलाआकार लगभग 1/2" होता है। इसकि खुशबु ताज़ी कटी घाँस कि तरह होती है। कुलीथ बहुत ही कड़क और पकने मे लंबा समय लेती है। इसका दक्षिण भारत के गाँव श्रेत्र में साबूत, अंकुरित या संपूर्ण आहार के रुप मे प्रयोग किया जाता है।

कुलीथ चुनने का सुझाव (suggestions to choose horse gram)

• कुलीथ बहुत ही आम अनाज है जो बाज़ार मे आसानी से मिलता है।

• साबूत दाने चुने जिनका रंग हरे से भूरा हो और छुने पर कड़क हो।

• किसी भी प्रकार के किड़े कि जाँच कर लें।

कुलीथ के उपयोग रसोई में (uses of horse gram in cooking )

• आसान सी कुलीथ दाल आपके मुख्य भोजन का भाग बन सकती है।

• कुलीथ को अन्य सामग्री के साथ मिलाकर, इसका प्रयोग महाराष्ट्रिय उसल बनाने मे किया जा सकता है।

• आप कुलीथ का सूप बना सकते है, जिसे कुलीथ सार भी कहा जाता है या मिक्स्ड व्हेजिटेबल सूप बनाकर इसकि पौष्टिक्ता बढ़ा सकते है। यह अक्सर कुलीथ के पानी से बनाया जाता है, जिसमे कुलीथ को भिगोकर पकाया गया हो। यह पानी सूप का मुख्य सामग्री होता है जिसमे लहसन और कोकम का स्वाद भरा जाता है।

• कुलीथ को पकाकर सलाद मे मिलाकर कुलीथ कोशिम्बीर बनाया जाता है।

• साबूत कुलीथ को अंकुरित कर इसकि पौष्टिक्ता बढ़ा सकते है। अंकुरित कुलीथ का प्रयोग बहुत से व्यंजन मे किया जा सकता है।

• कुलीथ के पानी और कुलीथ का प्रयोग कर करी बनायी जा सकती है।

• इसे बिरयानी, मिक्सड पुलाव या अन्य चावल के व्यंजन मे भी मिलाया जा सकता है।

• आम खिचड़ी कि जगह कुलीथ कि खिचड़ी बनाकर देखें।

कुलीथ को कैसे स्टोर करें, how to store horse gram in hindi • इसके कड़क होने कि वजह से इसे संग्रह करना आसान होता है।

• इसे हवा बंद डब्बे में रखकर ठंडी और सूखी जगह पर रखें जो नमी से दुर हो।

• इसे साल भर आसानी से रखा जा सकता है।

कुलीथ के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of horse gram

• कुलीथ मे अन्य साबूत दाल कि तरह आहार तत्व होते है।

• इसे समय-समय पर खाने से सूखे बवासीर के दर्द से आराम मिलता है।

• महिलाओं मे यह मासिक धर्म को शुद्ध करने मे मदद करता है।

• कहा जाता है कि यह आर्थराईटिस ठीक करने मे मदद करता है।

• यह प्रोटीन का अच्छा स्तोत्र है। अनदय अनाज, जैसे चावल के साथ मिालने पर इसके प्रोटीन का गुण बढ़ जाते है।

• यह खाद्य रेशांक का भी अच्छा स्तोत्र है और रक्तचाप और रक्त मे शक्करा कि मात्रा को संतुलित रखता है।

• अंकुरित कुलीथ प्रोटीन, विटामीन सी और लौह से भरपुर होते है।


अंकुरित कुलीथ

अंकुरित कुलीथ बनाने के लिये कुलीथ को 8 घंटे पानी मे भोगो दें। पानी छानकर कुलीथ को सूती कपड़े मे लपेटकर दिन भर रख दें। दानो से छोटे अंकुर निकलने लगते है। अंकुरित कुलीथ का प्रयोग सलाद, सूप, साथ ही करी और रायता मे किया जा सकता है। यह प्रोटीन, लौह और विटामीन सी से भरपुर होते है।

भिगोया हुआ कुलीथ

कुलीथ बहुत कड़क होता है और इसलिये इसे साफ पानी मे रखकर कम से कम 7 से 8 घंटे के लिये भिगोना ज़रुरी होता है। कुलीथ भिगोने के लिये आप कुलीथ को गरम पानी मे भिगो सकते है। ढ़ककर 8 घंटे के लिये रख दें। इसका रंग हल्का और यह नरम हो जाता है। लेकिन, भिगोया हुआ कुलीथ पकाये बिना खाने योग्य नही बनता।

भिगोया और उबला हुआ कुलीथ

कुलीथ को साफ और धोकर भरपुर पानी मे 6 से 8 घंटे के लिये भिगो दें। पानी छानकर बर्तन भर पानी मे नरम होने तक पका लें और व्यंजन अनुसार प्रयोग करें।

उबला हुआ अंकुरित कुलीथ

इसका मतलब है अंकुरित कुलीथ को पानी मे नरम और आसानी से चबाने योग्य बनाने के लिये उबाला हुआ। इसका प्रयोग सूप, दाल या सब्ज़ी मे किया जा सकता है।

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